लेखनी कविता -किसी का दीप निष्ठुर हूँ -महादेवी वर्मा

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किसी का दीप निष्ठुर हूँ -महादेवी वर्मा  शलभ मैं शापमय वर हूँ! किसी का दीप निष्ठुर हूँ! ताज है जलती शिखा; चिनगारियाँ शृंगारमाला; ज्वाल अक्षय कोष सी; अंगार मेरी रंगशाला ; ...

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